विदेश में पढ़ाई का सपना अधूरा? अमेरिका की सख्त नीतियों से भारतीय स्टूडेंट्स को साल बर्बाद होने का डर
🎓 अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 70% गिरी: ट्रंप सरकार की पॉलिसी से असमंजस, स्टूडेंट्स को साल बर्बाद होने का डर
अमेरिका में पढ़ाई का सपना संजोने वाले हजारों भारतीय छात्रों को इस बार बड़ा झटका लगा है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में करीब 70% की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट की बड़ी वजह बताई जा रही है — ट्रंप सरकार की नई अप्रवासन नीतियाँ, वीज़ा नियमों में सख्ती और समय पर स्पष्ट दिशा-निर्देश न मिलना।
❗ क्या है स्टूडेंट्स की सबसे बड़ी चिंता?
बड़े पैमाने पर छात्रों का कहना है कि उन्हें अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि:
वीज़ा कितनी जल्दी मिलेगा
फिजिकल क्लासेज होंगी या ऑनलाइन
वीज़ा इंटरव्यू कब तक होंगे
दाखिला लेने के बाद भी अमेरिका में एंट्री की अनुमति होगी या नहीं
इन सवालों को लेकर हजारों स्टूडेंट्स तनाव और असमंजस की स्थिति में हैं। कई छात्रों ने अपनी एडमिशन प्रक्रिया बीच में ही रोक दी है।
📉 70% गिरावट: आंकड़ों में बड़ा झटका
जहां पिछले सालों में लगभग 2 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र हर साल अमेरिका की यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेते थे, वहीं इस साल यह आंकड़ा 60-70% तक गिर चुका है। एजुकेशन कंसल्टेंट्स के मुताबिक, यह गिरावट अभूतपूर्व है और भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़े कर रही है।
🇺🇸 ट्रंप सरकार की सख्त वीज़ा नीतियां बनी वजह
ट्रंप प्रशासन ने पिछले कुछ महीनों में:
वीज़ा प्रोसेसिंग में देरी
H-1B और F-1 वीज़ा के नियम सख्त करना
ऑनलाइन क्लास वाले छात्रों को एंट्री न देने के निर्देश
जैसे कई नीतिगत फैसले लिए हैं, जिनका असर खासकर भारतीय छात्रों पर पड़ा है।
🎓 छात्रों की प्रतिक्रिया: "हमारा साल बर्बाद हो सकता है"
दिल्ली की एक स्टूडेंट, अदिति अग्रवाल कहती हैं:
“मैंने अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है, लेकिन अब तक वीज़ा इंटरव्यू की तारीख नहीं मिली। डर है कि कहीं पूरा साल ही खराब न हो जाए।”
🌐 कई स्टूडेंट्स का रुख अब कनाडा, यूके और ऑस्ट्रेलिया की ओर
अमेरिका की अनिश्चितता के चलते अब छात्रों का झुकाव कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर बढ़ रहा है, जहाँ वीज़ा प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और स्थिर है।
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