झारखंड : स्थानीय लोगों ने इस हादसे के लिए सीसीएल की लापरवाही और सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत को जिम्मेदार ठहराया है. एक घायल के परिजन ने बताया, 'सीसीएल ने खदान को खुला छोड़ दिया, जिसके कारण गरीब ग्रामीण जलावन और रोजगार के लिए कोयला निकालने जाते हैं. यदि खदान में बैरिकेटिंग और पर्याप्त सुरक्षा होती, तो यह हादसा टल सकता था.' ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल द्वारा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ माइंस सेफ्टी (डीजीएमएस) के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया. खदान में ब्लास्टिंग और ओवरबर्डन हटाने के बावजूद सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे, जिससे ग्रामीणों का अनधिकृत प्रवेश आसान हो गया. मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों और मजदूर संगठनों ने तीन शवों को करमा परियोजना कार्यालय के गेट पर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारी सीसीएल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मृतकों के परिजनों के लिए 20 लाख रुपये और घायलों के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सीसीएल के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की भी मांग की. प्रदर्शन के कारण कार्यालय के बाहर तनाव का माहौल है, और वहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'जब तक मुआवजा और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी, हम शव नहीं हटाएंगे.'