वल्ड्: समय मापन विशेषज्ञों में हलचल मच गई है, क्योंकि इसका सीधा असर समय, दिन की लंबाई, और तकनीकी सिस्टम्स पर पड़ सकता है। 📉 क्या है बदलाव? पृथ्वी आमतौर पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है। लेकिन हाल की गणनाओं में सामने आया कि कई दिनों में यह 23 घंटे 59 मिनट 59.999 सेकेंड्स में ही घूम रही है — यानी एक सेकेंड से भी कम समय में अंतर, लेकिन इसका असर गहरा हो सकता है। 📅 क्यों अहम हैं आने वाले 20 दिन? अगले 20 दिनों में वैज्ञानिक दो विशेष डेट्स (तारीखों) की निगरानी कर रहे हैं, जब पृथ्वी की गति सामान्य से और भी ज्यादा तेज हो सकती है। इससे "लीप सेकेंड" जैसे समायोजन की जरूरत पड़ सकती है। 🧠 हमारी जिंदगी पर क्या होगा असर? घड़ियों में बदलाव: परमाणु घड़ियों और इंटरनेट टाइम सर्वर को एडजस्ट करना पड़ सकता है सैटेलाइट और GPS प्रभावित: तेज रोटेशन से सैटेलाइट पोजिशनिंग में मामूली गड़बड़ी आ सकती है तकनीकी सिस्टम्स: बैंकिंग, ट्रैफिक कंट्रोल और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों को रियल-टाइम अपडेट करने होंगे दिन छोटे महसूस हो सकते हैं: भले ही आम इंसान को यह फर्क न महसूस हो, लेकिन तकनीकी रूप से दिन की लंबाई घट सकती है 🔬 वैज्ञानिकों की चेतावनी: अगर रफ्तार इसी तरह बढ़ती रही तो भविष्य में Leap Second की बजाय Negative Leap Second जोड़ने की नौबत आ सकती है — यानी 1 सेकंड हटाना पड़ेगा। यह कंप्यूटर सिस्टम्स के लिए बड़ा चैलेंज होगा, क्योंकि अब तक ऐसा कभी नहीं किया गया है। 📖 क्या ये असामान्य है? पृथ्वी की गति में हल्के-फुल्के उतार-चढ़ाव पहले भी आते रहे हैं, लेकिन हालिया तेजी एक लंबे समय बाद देखी गई है, जिससे वैज्ञानिक चिंतित हैं।