लोकेशन - सोनभद्र
- भंडारण लाइसेंस के बिना कई जिलों में चलते रहे सैकड़ों क्रशर प्लांट
सोनभद्र में बगैर भंडारण लाइसेंस के दो सौ अधिक क्रशर प्लांट चलते रहे
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में खुलासा हुआ
एंकर - सोनभद्र। केंद्र और प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद कई अफसरों ने मनमानी की। उत्तर प्रदेश के छह जिलों में सैकड़ों स्टोन क्रशर प्लांटों को बिना भंडारण लाइसेंस के ही संचालित कराया गया, इसमें सबसे अधिक क्रशर प्लांट सोनभद्र जिले के थे। इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अवैध परिवहन के लिए बिना भंडारण संचालित क्रशर प्लांट संचालकों की भूमिका संदिग्ध मानते हुए
अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। क्रशर प्लांटों को भंडारण लाइसेंस जारी न करने से सरकार के राजस्व को लाखों का नुकसान हुआ है।
सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण) नियम के तहत स्टोन क्रशर उद्योगों और अन्य खनिज आधारित उद्योगों को भंडारण का लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत आवेदक को 10 हजार रुपये का गैर वापसी योग्य शुल्क भंडारण लाइसेंस के लिए जमा करना पड़ता है। सीएजी ने 16 जिला खनन अधिकारियों के रिकॉर्ड की जांच की, जिसमेसे छह जिलों में पाया गया कि स्टोन क्रशर इकाइयों को भंडारण का लाइसेंस ही नहीं दिया गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उपलब्ध कराई गई सूची में अप्रैल 2017 से फरवरी 2023 की अवधि के दौरान इन जिलों में 1035 स्टोन क्रशर इकाइयां संचालित थीं। इनमें से 708 क्रशर इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन की अनुमति दी गई थी। नियमानुसान इन्हें भंडारण का लाइसेंस भी दिया जाना चाहिए था, लेकिन सैकड़ों स्टोन क्रशर इकाइयां बिना भंडारण लाइसेंस के ही संचालित होती रहीं। संबंधित खनन अधिकारियों ने इन इकाइयों को न तो भंडारण लाइसेंस देने की कोई कार्रवाई की और न ही कोई अन्य कदम उठाए। भंडारण लाइसेंस के बिना संचालित स्टोन क्रेशर प्लांटों के वजह से सरकार को लाखों रुपए की लाइसेंस फीस का नुकसान हुआ है। उधर सीएजी की रिपोर्ट के बाद संबंधितों में खलबली मच गई है।