स्लग - सांठगांठ कर सरकार को पहुंचाया करोड़ों का नुकसान !
खनन अधिकारियों ने 161 वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) जारी किए गए
409.85 करोड़ रुपये की खनन देनदारी में केवल 1.17 करोड़ रुपये की हुई वसूली
सोनभद्र में खनन अधिकारी की ओर से 11 वसूली प्रमाण पत्र जारी किए गए
सोनभद्र। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में खनन विभाग के अधिकारियों की मनमानी की पोल खुल गई है। यूपी के कई जिलों में तैनात खनन अधिकारियों ने पट्टाधारकों से सांठगांठ कर सरकारी को काफी नुकसान पहुंचाया है। अधिकारियों ने इतनी लापरवाही बरती कि पट्टाधारकों से लीज और रॉयल्टी के अंतर्गत करीब 409 करोड़ की वसूली समय से नहीं हो पाई। सोनभद्र में तो 12.37 करोड़ की रिकवरी के छह नोटिस को यह कहते हुए लौटा दिया गया कि पट्टाधारकों के नाम-पते गलत हैं या उनके पास कोई संपत्ति ही नहीं है। जबकि पट्टा आवंटन से पहले ही विभाग पट्टाधारकों की हैसियत और वास्तविक पहचान की पड़ताल करता है।
सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश लघु खनिज रियायत (यूपीएमएससी) नियम में प्रावधान है कि अगर पट्टेदार नोटिस प्राप्त करने के एक माह के भीतर लीज के अंतर्गत देय किसी भी राशि (जिसमें रॉयल्टी भी शामिल है) का भुगतान नहीं करता है तो राज्य सरकार या उसकी ओर से अधिकृत कोई भी अधिकारी खनन पट्टा पर रोक लगा सकता है। इतना ही नहीं अगर भुगतान नियत तिथि से 15 दिन के भीतर नहीं किया गया तो राज्य सरकार उस राशि को भू-राजस्व के बकाए के रूप में वसूलने का अधिकार रखती है। सूत्र बताते हैं कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 18 जिलों से प्राप्त खनन अभिलेखों की जांच में पाया कि आठ जनपदों के खनन अधिकारियों ने वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच 161 वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) जारी किए गए, जिनमें 409.85 करोड़ रुपये की खनन देनदारी शामिल थी। लेकिन बकाया राशि में से सिर्फ़ 1.17 करोड़ रुपये की ही वसूली विभाग कर पाया। सोनभद्र में खनन अधिकारी की ओर से अक्तूबर 2020 से दिसंबर 2021 के बीच 11 वसूली प्रमाण पत्र जारी किए गए थे, लेकिन करीब 12 करोड़ रुपये के छह वसूली प्रमाणपत्र यह कहकर वापस कर दिया गया कि पिता का नाम और पता ही नहीं मिला या पट्टेदारों की कोई संपत्ति ही नहीं है। सोनभद्र के अलावा कई जिलों में में भी वसूली प्रमाणपत्र जारी हुए, लेकिन बकाया राशि वसूलने में विभाग विफल रहा। इस तरह से आठ जिलों में 408.68 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई और संबंधित अधिकारियों ने इसकी वसूली के लिए कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं की। मामला उजागर होने के बाद संबंधित अधिकारियों में खलबली मच गई है।