लोकेशन - लखनऊ
प्रदीप चौबे
- चंद्र ग्रहण पर भूल कर न करें ये काम, वरना होगा भारी नुकसान !
सात सितंबर को पूर्णिमा तिथि का व्रत, स्नान, दान
वेदाचार्य राहुल चौबे ने चन्द्र ग्रहण के बारे में दी जानकारी
एंकर - लखनऊ। इस वर्ष भाद्रमास की पूर्णिमा तिथि 6/7 सितंबर की रात्रि 12:58 (00:58) से प्रारंभ हो रही है। अतः पूर्णिमा तिथि का व्रत, स्नान, दान आदि 7 सितंबर को होगा। यह जानकारी हिंदी समाचार न्यूज के विशेष कार्यक्रम में वेदाचार्य
राहुल चौबे {राष्ट्रपति पुरस्कृत}
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ गोल्ड मेडलिस्ट (वेद विभाग ) ने दी।
उन्होंने बताया कि रात्रि में चंद्र ग्रहण लग रहा है। अतः पूर्णिमा जन्य तीर्थ स्नान ,दान चंद्रग्रहण के सूतक से पूर्व अर्थात मध्याह्न 12:57 से पूर्व ही करें। सूतक काल में तीर्थ नदी स्नान और दान-पुण्य, देव स्पर्श, भोजन आदि वर्जित है।चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात्रि 9:57 पर प्रारंभ होगा एवं देर रात्रि 01:27 तक चलेगा इस बार का चन्द्र ग्रहण 3 घंटे 30 मिनट तक रहेगा। ग्रहण स्पर्श (प्रारंभ) = रात्रि 9:57 बजे।
👉 ग्रहण का मध्य काल =11:41 बजे।
👉और ग्रहण मोक्ष(समाप्ति)= रात्रि 1:27 बजे होगा। कहा कि
ध्यान दे चंद्र ग्रहण जनित सूतक ग्रहण लगने से नौ घंटे पूर्व ही आरंभ हो जाता है। अतः चन्द्र ग्रहण जनित सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर में 12:57 बजे शुरू होकर रात्रि 1:27 बजे तक रहेगा। ग्रहण काल में पूजा स्थलों, सभी देवालय/मंदिरों, के पट बंद रहेंगे और आठ सितंबर को प्रातः काल मंदिरों के पट खोले जाएंगे। यह चंद्र ग्रहण 2025 भारत सहित कई अन्य देशों जैसे अंटार्टिका, पश्चिमी महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, हिन्द महासागर, यूरोप, पूर्वी अटलांटिक महासागर आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा और यहां के निवासियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
इनसेट
आवश्यक सावधानियां
👉 ध्यान दे ग्रहण जनित सूतक लगने से पूर्व अपने घर में रखी खाद्य पदार्थों, तेल, घी, दूध, दही, आचार आदि सभी समाग्रियों में कुश अथवा तुलसी पत्र अवश्य डाल देना चाहिए जिससे खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित न हो और उसे पुनः उपयोग किया जा सके।
👉सूतक काल में देव स्पर्श, तीर्थ स्नान, दान, भोजन आदि वर्जित है।
👉 बालक, वृद्ध, रोगी और गर्भवती महिलाओं को छोड़कर किसी को भी सूतक काल में भोजन विशेष रूप से अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
👉गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
👉 ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व सूतक काल में हीं अपने पूरे पेट, कोख में गेरू अथवा गाय के गोबर का लेप अवश्य लगावे।
👉 ग्रहण काल में किसी एकांत बंद कमरे में शांत चित्त होकर भगवत नाम जप निरंतर अवश्य करना चाहिए।
👉 ग्रहण पश्चात स्नान करें अथवा केवल वस्त्र चेंज करना चाहिए।
*👉👉 क्या नहीं करना है👇👇*
👉ध्यान दे ग्रहण के समय अर्थात रात्रि 09:57 से 01:27 के मध्य गर्भवती महिलाओं को किसी भी धारदार वस्तुओं का उपयोग नहीं करना, सोना नहीं है, खाना-पीना नहीं, कुछ भी काटना, सिलना, तोड़ना, फोड़ना नहीं है, चन्द्र दर्शन नहीं करना और न ही चंद्रमा का प्रकाश शरीर में नहीं पड़ना चाहिए।
ग्रहण जनित प्रभाव धार्मिक, आध्यात्मिकता के साथ-साथ पूर्णतया वैज्ञानिक भी अतः इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके दुष्परिणाम प्रत्यक्ष देखने को मिलते ही है अतः सावधान रहे सुरक्षित रहें।
वेदाचार्य राहुल चौबे
{राष्ट्रपति पुरस्कृत}
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ
गोल्ड मेडलिस्ट (वेद विभाग )
☎-8840608499