लखनऊ: लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ के हालात भयावह हो गए हैं। पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी में भारी बारिश और नदियों के उफान के चलते 500 से अधिक गांव पानी से घिर गए हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त है और लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को राहत व बचाव कार्यों के लिए मौके पर रहने के निर्देश दिए हैं, साथ ही 11 मंत्रियों की टीम 12 जिलों में बाढ़ की निगरानी में जुटी हुई है।
लखनऊ: लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ के हालात भयावह हो गए हैं। पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी में भारी बारिश और नदियों के उफान के चलते 500 से अधिक गांव पानी से घिर गए हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त है और लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को राहत व बचाव कार्यों के लिए मौके पर रहने के निर्देश दिए हैं, साथ ही 11 मंत्रियों की टीम 12 जिलों में बाढ़ की निगरानी में जुटी हुई है। प्रयागराज पर सबसे बड़ा संकट प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के बढ़ते जलस्तर से करीब पांच लाख लोगों की आबादी पर संकट मंडरा रहा है। दो दिनों से लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण हजारों घर जलमग्न हो गए हैं, खाने-पीने और आश्रय की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है। गंगा और यमुना दोनों का जलस्तर 86 मीटर के पार पहुंच चुका है, जो खतरे के निशान 84.73 मीटर से काफी ऊपर है। सोमवार शाम को यमुना में जलस्तर घटने की थोड़ी राहत भरी खबर आई, जबकि गंगा का स्तर फिलहाल स्थिर है। डिप्टी सीएम ने किया हवाई निरीक्षण डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हेलिकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया और दो राहत शिविरों का जायजा भी लिया। बाढ़ ने न सिर्फ घर-परिवार, बल्कि बाजारों को भी प्रभावित किया है। हरी सब्जियों की कीमतें तेजी से बढ़ गई हैं। पूर्वांचल के जिले भी संकट में मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया जिले भी बाढ़ की चपेट में हैं। इन जिलों में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है (भदोही को छोड़कर)। वाराणसी में तो गंगा ने 2022 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए ट्रॉमा सेंटर वाली सड़क को भी अपनी चपेट में ले लिया है। काशी के 84 घाटों पर बने 3000 से अधिक मंदिर डूब चुके हैं, जिससे अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिल रही।