सोनभद्र: सोनभद्र जिले में स्थित प्राचीन मंदिर, जीवाश्म पार्क और गुफा चित्रकला जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का यदि सही ढंग से संरक्षण और विकास किया जाए तो यह क्षेत्र धार्मिक व पारंपरिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है। यह बातें विश्व की द्वितीय किन्नर कथावाचक महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने ओबरा में रजनीश अग्रवाल के आवास पर हिंदी समाचार न्यूज से विशेष बातचीत के दौरान कही।
सोनभद्र: सोनभद्र जिले में स्थित प्राचीन मंदिर, जीवाश्म पार्क और गुफा चित्रकला जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का यदि सही ढंग से संरक्षण और विकास किया जाए तो यह क्षेत्र धार्मिक व पारंपरिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है। यह बातें विश्व की द्वितीय किन्नर कथावाचक महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने ओबरा में रजनीश अग्रवाल के आवास पर हिंदी समाचार न्यूज से विशेष बातचीत के दौरान कही।
सोनभद्र: सोनभद्र जिले में स्थित प्राचीन मंदिर, जीवाश्म पार्क और गुफा चित्रकला जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का यदि सही ढंग से संरक्षण और विकास किया जाए तो यह क्षेत्र धार्मिक व पारंपरिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है। यह बातें विश्व की द्वितीय किन्नर कथावाचक महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने ओबरा में रजनीश अग्रवाल के आवास पर हिंदी समाचार न्यूज से विशेष बातचीत के दौरान कही। महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने कहा कि शिवद्वार स्थित प्राचीन शिव मंदिर, जो जिले के मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है, का यदि जीर्णोद्धार और पर्यटन के हिसाब से विकास किया जाए, तो यह स्थान धार्मिक दृष्टिकोण से एक बड़ा आकर्षण बन सकता है। उन्होंने अन्य सुप्रसिद्ध मंदिरों के भी पुनर्निर्माण और संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से सलखन जीवाश्म पार्क का उल्लेख किया, जो 1.5 अरब वर्ष पुराने जीवाश्मों का घर है और जिसने सोनभद्र को वैश्विक मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान दिलाई है। उनका मानना है कि इस पार्क के वैज्ञानिक और पर्यटन दृष्टिकोण से विकास से जिले को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। महामंडलेश्वर ने कहा कि इन स्थलों के विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म सभी का रक्षक है। किन्नर समाज आज इसकी महिमा और परंपरा के प्रचार-प्रसार में जुटा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भावी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का संरक्षण बेहद आवश्यक है। इस अवसर पर धुरेंद्र शर्मा, दीपेश दीक्षित, रामनरेश अग्रहरि समेत कई स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।