सोनभद्र: सोनभद्र। किन्नर केवल तालियां बजाकर बधाई मांगने वाले नहीं हैं। यदि समाज की सोच बदले, तो किन्नर भी मुख्यधारा में शामिल होकर बेहतर जीवन जी सकते हैं। किन्नर आईपीएस, आईएएस ही नहीं बल्कि सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति भी दे सकते हैं। बस जरूरत है अवसर और समाज के सहयोग की। यह कहना है किन्नर काजल का।
सोनभद्र: सोनभद्र। किन्नर केवल तालियां बजाकर बधाई मांगने वाले नहीं हैं। यदि समाज की सोच बदले, तो किन्नर भी मुख्यधारा में शामिल होकर बेहतर जीवन जी सकते हैं। किन्नर आईपीएस, आईएएस ही नहीं बल्कि सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति भी दे सकते हैं। बस जरूरत है अवसर और समाज के सहयोग की। यह कहना है किन्नर काजल का।
सोनभद्र: सोनभद्र। किन्नर केवल तालियां बजाकर बधाई मांगने वाले नहीं हैं। यदि समाज की सोच बदले, तो किन्नर भी मुख्यधारा में शामिल होकर बेहतर जीवन जी सकते हैं। किन्नर आईपीएस, आईएएस ही नहीं बल्कि सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति भी दे सकते हैं। बस जरूरत है अवसर और समाज के सहयोग की। यह कहना है किन्नर काजल का। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की रहने वाली काजल ने सोनभद्र में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंने जीवन में बहुत अपमान और संघर्ष झेला है। समाज की उपेक्षा और अस्वीकार्यता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। अब उन्होंने अपना पूरा जीवन ट्रांसजेंडर समुदाय की भलाई के लिए समर्पित कर दिया है। काजल बताती हैं कि उनके संपर्क में कई गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चे हैं, जिनकी शिक्षा का खर्च वह स्वयं उठाती हैं। वह अब तक कई लड़कियों की शादी में भी सहयोग कर चुकी हैं। काजल कहती हैं, "हम किन्नर समाज के लोग सिर्फ हिजड़े या मजाक के पात्र नहीं हैं। अगर हमें मौका दिया जाए, तो हम भी समाज और देश के लिए कुछ कर सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग किन्नर के भेष में रेलवे स्टेशन, बस अड्डों पर घूमकर भीख मांगते हैं, जिससे असली किन्नरों की छवि धूमिल होती है। ऐसे फर्जी किन्नरों की पहचान कर प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। काजल की बातें ना सिर्फ प्रेरणा देती हैं, बल्कि यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि अगर समाज किन्नरों को बराबरी का दर्जा दे तो वे भी देश के विकास और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।