‘हिसार रसीली’ हाइब्रिड गाजर: कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली किस्म, किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है
किसानों की पहली पसंद बनी ‘हिसार रसीली’ गाजर, जानें इसकी खेती का तरीका और फायदे
कम समय, ज़्यादा पैदावार! हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’ से बढ़ रहा किसानों का मुनाफा
हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’ ने बदल दी खेती की दिशा, जानें इसके विशेष गुण और खेती विधि
‘हिसार रसीली’: कम खर्च, ज्यादा मुनाफे वाली गाजर की नई किस्म से किसानों को बड़ी राहत
किसानों के लिए सुनहरा मौका! ‘हिसार रसीली’ हाइब्रिड गाजर दे रही है बंपर पैदावार और जबरदस्त मुनाफा
मिट्टी से सोना उगल रही है ‘हिसार रसीली’ गाजर, जानिए इसकी खेती का पूरा तरीका और विशेषताएं
📰 किसानों के लिए वरदान बनी हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’, कम समय में मिल रहा है अधिक मुनाफा, जानें खेती का तरीका और विशेषताएं
नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों में किसान परंपरागत फसलों की तुलना में अब नई तकनीकों और हाइब्रिड किस्मों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसी ही एक उन्नत किस्म है — हाइब्रिड गाजर 'हिसार रसीली', जो अपनी मिठास, कम समय में पकने और अधिक मुनाफा देने के कारण किसानों के लिए वरदान बन गई है।
🌿 क्या है ‘हिसार रसीली’ गाजर?
‘हिसार रसीली’ एक हाइब्रिड गाजर किस्म है, जिसे हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म खासतौर पर उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो कम समय में अच्छी उपज और बेहतर बाजार मूल्य की तलाश में हैं।
✅ मुख्य विशेषताएं:
जल्दी परिपक्वता: 80 से 90 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।
उत्कृष्ट स्वाद: नाम के अनुसार यह गाजर अत्यंत रसीली और मीठी होती है।
लंबे और गहरे नारंगी रंग के गाजर: आकर्षक दिखने के कारण बाजार में मांग अधिक।
उच्च उपज क्षमता: पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20–30% ज्यादा उत्पादन।
कम बीमारियां: रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने के कारण कीटनाशकों की जरूरत कम।
भंडारण क्षमता: कटाई के बाद 4–5 दिन तक ताजा बनी रहती है।
🚜 खेती का तरीका (Cultivation Method):
📅 बुवाई का सही समय:
सितंबर से नवंबर के बीच बुवाई सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
🌱 बीज की मात्रा:
प्रति एकड़ 4–5 किलो बीज की जरूरत होती है।
🧪 मिट्टी और तैयारी:
गाजर के लिए ढीली, बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई और जैविक खाद (गोबर की खाद) मिलाना लाभकारी होता है।
💧 सिंचाई:
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
बाद में हर 7–10 दिन में हल्की सिंचाई करें।
🐛 रोग नियंत्रण:
आवश्यकतानुसार जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।
गाजर मक्खी और पत्ती धब्बा रोग के लिए सतर्क रहें।
💰 कम लागत में अधिक मुनाफा:
एक एकड़ खेत में ‘हिसार रसीली’ से लगभग 250–300 क्विंटल तक उत्पादन संभव है।
यदि बाजार में गाजर का भाव ₹10–₹15 प्रति किलो है, तो किसान को प्रति एकड़ से ₹2.5–₹4 लाख तक का रिटर्न मिल सकता है।
🛒 बाजार में मांग:
मिठास और रंगत के कारण यह गाजर जूस इंडस्ट्री, होटल, रेस्तरां और एक्सपोर्ट बाजार में काफी लोकप्रिय हो रही है।
खुले बाजार और मंडियों में इसकी तेजी से बिक्री होती है।
🔚 निष्कर्ष:
‘हिसार रसीली’ जैसी हाइब्रिड गाजर किसानों के लिए कम समय में अधिक उत्पादन और मुनाफे का मजबूत जरिया बन रही है।
ऐसे समय में जब खेती में लागत बढ़ रही है, यह किस्म किसानों के लिए एक आर्थिक संजीवनी साबित हो रही है। अगर आप भी गाजर की खेती से कमाना चाहते हैं ज्यादा मुनाफा, तो 'हिसार रसीली' जरूर आज़माएं।
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