सोनभद्र: सोनभद्र। जिले में निजी अस्पतालों की लापरवाह कार्यशैली से लगातार मौत के मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को रॉबर्ट्सगंज स्थित एक निजी अस्पताल में एक महिला तथा कोन क्षेत्र में इलाज के दौरान एक 12 वर्षीय बालक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोनभद्र: सोनभद्र। जिले में निजी अस्पतालों की लापरवाह कार्यशैली से लगातार मौत के मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को रॉबर्ट्सगंज स्थित एक निजी अस्पताल में एक महिला तथा कोन क्षेत्र में इलाज के दौरान एक 12 वर्षीय बालक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह ने तत्काल ओबरा एसडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया है। टीम में एसडीएम ओबरा, पुलिस उपाधीक्षक ओबरा, और अपर मुख्य चिकित्साधिकारी को शामिल किया गया है। जांच टीम कोन थाना क्षेत्र के भारत हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर की जांच करेगी। टीम को अस्पताल के पंजीकरण, चिकित्सा सेवाएं, उपलब्ध सुविधाएं और वहां कार्यरत चिकित्सकों की योग्यता की गहनता से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। टीम अपनी रिपोर्ट जल्द सौंपेगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों हिंदी समाचार न्यूज ने इस गंभीर मुद्दे को उजागर करते हुए बताया था कि राबर्ट्सगंज समेत जिले के कई निजी अस्पताल बिना मानकों के मनमाने ढंग से संचालित हो रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इस लापरवाही का नतीजा है कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश द्विवेदी ने इस मामले में डीएम से अपील की है कि सिर्फ अस्पताल नहीं, बल्कि उन्हें संरक्षण देने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भी पहचान कर शासन स्तर पर कार्रवाई की जाए। वहीं अधिवक्ता विकास शाक्य ने कहा कि कुछ अधिकारी निजी अस्पतालों को संरक्षण दे रहे हैं, जिससे नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल चल रहे हैं। उन्होंने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से पूरे जिले में उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाने की मांग की है। यह मामला अब प्रशासनिक सक्रियता के चलते सामने है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार जांच के बाद ठोस कार्रवाई भी होगी, या हमेशा की तरह फाइलों में सिमटकर रह जाएगी?