सोनभद्र: सोनभद्र। काशी चंदौली मिर्जापुर भदोही प्रयागराज व सोनभद्र के विद्वत् सदस्यगण चिकित्सक गण व्यवसायी गण शोधकर्ता गण चिंतक गण समाजिक कार्यकर्ता गण द्वारा विगत वर्षों की भांति गुप्त काशी विकास परिषद काशी कथा न्यास एवं उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान संस्कृति विभाग लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में गुप्तकाशी तीर्थायन यात्रा 2025 संपन्न हुई। यात्रा के संरक्षक पंडित पारसनाथ मिश्रा ने कहा की यह क्षेत्र पौराणिक व वैदिक काल से मानव सभ्यता के विकास में अपना योगदान दर्ज कराने वाले भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता पर आधारित है यहाँ ऐतिहासिक पौराणिक सांस्कृतिक विंध्य पर्वत की श्रृंखला में स्थित विंध्य क्षेत्र का पृष्ठ भाग जिसका सोनगंगा सीमांकन करती देव ऋषियों की तपोभूमि सिद्ध पीठ अवस्थित है और सोन घाटी सोन माटी अपने सुंदरता मनोरमता ऊर्जा खनिज संपदा से परिपूर्ण पर्यटन के सौंदर्यता के दृश्य के लिए भी विख्यात है। तीर्थायन यात्रा के संयोजक डॉ अवधेश दीक्षित ने कहा कि सोनभद्र (गुप्त काशी) के नाम से विख्यात तथा वनवासी बाहुल्य है में इस वर्ष भी तीर्थायन यात्रा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सिंह द्वार से सोनभद्र वनवासी विकासोन्मुख अर्थात यहाँ के रहन-सहन खान-पान पर्व त्यौहार संस्कृति सभ्यता के प्रचार प्रसार हेतू आयोजित किया जा रहा है हम दोनों संस्थाओं के साथ उत्तर प्रदेश लोक एवं संस्कृति संस्थान संस्कृति विभाग लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार को शामिल करते हुए गुप्तकाशी तीर्थायन यात्रा सम्पन्न हो रही है। आयोजक गुप्तकाशी विकास परिषद के अध्यक्ष पंडित आलोक चतुर्वेदी ने कहां की मैं धन्य हुआ इस गुप्तकाशी के धन्य धरा पर मेरा भी जन्म हुआ सोनभद्र भारत का एकमात्र जिला है जो मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड और बिहार के चार राज्यों से सटा है। सोनभद्र जिला एक औद्योगिक क्षेत्र है और इसमें बॉक्साइट चूना पत्थर कोयला सोना आदि जैसे बहुत सारे खनिज हैं। सोनभद्र को भारत की ऊर्जा राजधानी कहा जाता है। प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा पूर्व कुलपति अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ ने कहा कि काशी से गुप्त काशी की यात्रा प्रारंभ करने के पीछे का यह स्पष्ट मकसद है कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण रामायण और महाभारत के साक्ष्य के आधार पर यहां मिले हुये सांस्कृतिक प्रतीक हैं। यह जिला 11 वीं से 13 वीं शताब्दी के दौरान दूसरी काशी के रूप में प्रसिद्ध यहां की संपूर्ण सभ्यता रहन-सहन पूजा पाठ काशी आधारित है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के निदेशक डॉक्टर अभिजीत दीक्षित ने कहा गुप्तकाशी नाम जिसका अर्थ है छिपा हुआ बनारस महाभारत के महाकाव्य से इसके संबंध को दर्शाता है जहाँ युद्ध के बाद पांडवों द्वारा भगवान शिव के प्रथम दर्शन यहीं हुए थे। प्रो. सिद्धनाथ उपाध्याय पूर्व निदेशक आईआईटी बीएचयू ने कहा गुप्तकाशी के प्राकृतिक वैभव के बीच छिपे हुए आश्चर्यों का खजाना है जो आपकी खोज का इंतजार कर रहा है। पवित्र तीर्थस्थल से इसकी निकटता के अलावा यहाँ कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं। यहाँ के शिव मंदिर प्राचीन किंवदंतियों शांत परिदृश्यों और आध्यात्मिक ज्ञान की एक दुनिया है जिसे खोजा जाना बाकी है। गुप्तकाशी के हर कोने में एक कहानी छिपी है जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्ध झलक पेश करती है। जगदीश पंथी संरक्षक गुप्त काशी विकास परिषद ने कहा की प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षक के रूप में गुप्तकाशी पिछली पीढ़ियों की स्थायी आस्था और भक्ति का प्रमाण है। गुप्तकाशी की खूबसूरत दुनिया में कदम रखें जहाँ कालातीत स्मारक एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के रूप में खड़े हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग बौद्धिक प्रमुख धनंजय पाठक ने कहा कि गुप्तकाशी में प्राकृतिक सुंदरता के समस्त रूप विराजमान हैं यहां रेगिस्तान की तरह दिखने वाला सोन नदी की बालू का क्षेत्र है तो उत्तराखंड की तरह दिखने वाली पहाड़ियां भी विराजमान है किसनो की कृषि को समृद्ध करने वाले कृषि भूमि भी है। इस बार तीर्थायन यात्रा अत्यधिक आकर्षण का केंद्र इसलिए भी बनी रही की संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से प्रख्यात राष्ट्रीय भजन गायिका रजनी तिवारी अपने दल बल के साथ संपूर्ण यात्रा में भजन गायन कीर्तन करते हुए चल रही थी। संपूर्ण यात्रा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से प्रारंभ होकर के इंजीनियरिंग कॉलेज चुर्क सोनभद्र होते हुए पंचमुखी महादेव मंदिर धंधरौल बाँध सहस्त्र शिवलिंग विजयगढ़ दुर्ग हनुमान मंदिर ब्रह्म सरोवर राम सरोवर शिव सरोवर बाबा मत्स्येंद्र नाथ तपस्थली पहुंची जहां पर सोनभद्र के कला संस्कृति का प्रदर्शन वनवासी समाज ने व लोकगीत का गायन संस्कृति विभाग से आयी गायिका रजनी तिवारी ने प्रस्तुत किया तत्पश्चात सहभोज कार्यक्रम संपन्न हुआ। वहां से यात्रा प्रारंभ होकर चेरुई के रास्ते मारकुंडी होते हुए गणपती महाराज इको पॉइंट व वीर लोरीक होते हुए सर्किट हाउस पहुंची तत्पश्चात गुप्तकाशी से काशी के लिए रवाना हो गई। यात्रा में पंडित आलोक चतुर्वेदी अध्यक्ष गुप्त काशी विकास परिषद डॉक्टर अवधेश दीक्षित अध्यक्ष काशी कथा न्यास प्रो.सिद्धनाथ उपाध्याय पूर्व निदेशक आईआईटी बीएचयू प्रो.प्रदीप कुमार मिश्रा पूर्व कुलपति अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ धनंजय पाठक विभाग बौद्धिक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मृत्युंजय मालवीय संयोजक तीर्थायन डॉ अनिल गुप्ता चिकित्साधिकारी वाराणसी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के निदेशक डॉक्टर अभिजीत दीक्षित प्रो चन्दना रथ डॉ भानुमति मिश्रा डॉ वन्दना चौबे डॉ रिया द्विवेदी डॉ धर्मेंद्र मिश्रा डॉ अजय सुमन शुक्ला डॉ प्रदीप कुमार जायसवाल डॉ अनिल गुप्ता डॉ रेनू गुप्ता डॉ चित्राली अग्रवाल विजय त्रिपाठी भास्कर मिश्रा (नेपाल) डॉ बृजेश पांडेय (बक्सर) धर्मेन्द्र जी अजय सुमन जी मथुरा विजय त्रिपाठी रोटरी क्लब चित्राली जी भारत विकास परिषद की अध्यक्ष सहित विविध क्षेत्रों के 200 गणमान्य लोग शामिल रहे।